7 AUG 1947: गांधी ने तिरंगा के सामने झुकने से किया इनकार? दिलचस्‍प है किस्‍सा


7 अगस्त, 1947: हिंदू-मुस्लिम दंगों के बीच देश ने एक नई करवट लेना शुरू कर दी थी. 7 अगस्‍त 1947 की शुरूआत देश के लगभग सभी समाचार पत्रों में छपे महात्‍मा गांधी के एक बयान से हुई थी, जिसमें उन्‍होंने राष्‍ट्रध्‍वज तिरंगे के सामने कभी न छुकने की बात कही थी. दरअसल, एक दिन पहले यानी 6 अगस्‍त 1947 को महात्‍मा गांधी लाहौर के दौरे पर थे, इसी बीच उन्‍हें सूचना दी गई कि भारत का नया राष्‍ट्रध्‍वज तैयार कर लिया गया है. उन्‍हें बताया गया कि नए राष्‍ट्रध्‍वज तिरंगे से चरखे को हटाकर दिया गया है और उसके स्‍थान अशोक चिन्‍ह से चक्र को लिया गया है.

यह सुनते ही महात्‍मा गांधी बुरी तरह से विफर गए. बैठक खत्‍म होने के बाद उन्‍होंने महादेव भाई से एक प्रेस वक्तव्य जारी करने के लिए कहा. इस वक्तव्य में उन्‍होंने लिखवाया कि ‘मुझे आज पता चला है कि भारत के राष्ट्रध्वज के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जा चुका है, परंतु यदि इस ध्वज के बीचोबीच चरखा नहीं होगा, तो मैं इस ध्वज को प्रणाम नहीं करुंगा. आप सभी जानते हैं कि भारत के राष्ट्रध्वज की कल्पना सबसे पहले मैंने ही की थी और ऐसे में यदि राष्ट्रध्वज के बीच में चरखा नहीं हो, तो ऐसे ध्वज की मैं कल्पना भी नहीं कर सकता.’

दरअसल, महात्‍मा गांधी का मानना था कि सम्राट अशोक एक हिंसक राजा था. बौद्ध धर्म स्‍वीकार करने से पहले उन्‍होंने व्‍यापक स्‍तर पर हिंसा की थी. ऐसे में, एक हिंसक राजा के प्रतीक को भारत के नए राष्‍ट्रध्‍वज में कैसे शामिल किया जा सकता है. 7 अगस्‍त 1947 को महात्‍मा गांधी भावनाओं को अलग-अलग भाषाओं में प्रकाशित होने वाले लगभग सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. महात्‍मा गांधी के इन विचारों को पढ़ने के बाद देश में राष्‍ट्रध्‍वज को लेकर नई बहस छिड़ गई थी. कुछ ने इसे सही माना तो कुछ ने इसे महात्‍मा गांधी के व्‍यवहार से बिल्कुल उलट माना.

भारत से पहले यहां फहराया गया नया राष्‍ट्रध्‍वज तिरंगा
पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्‍मी पंडित को तत्‍कालीन सोवियत संघ का पहला भारतीय राजदूत नियुक्ति किया गया था. वह आजाद भारत की पहली राजदूत थीं. 7 अगस्‍त 1947 की सुबह करीब छह बजे विजयलक्ष्‍मी पंडित का विमान मॉस्‍को एयरपोर्ट पर लैंड हुआ. एयरपोर्ट पर उनके स्‍वागत के लिए अशोक चक्र से सुसज्जित भारत का नया राष्‍ट्रध्‍वज तिरंगा फहराया गया. शायद यह पहली ऐसी घटना थी, जब भारत के होने वाले नए राष्‍ट्रध्‍वज को पहली बार आधिकारिक तौर पर फहराया गया हो. शायद इससे पहले न ही भारत के भीतर और न ही देश के बाहर अशोक चक्र से सुसज्जित तिरंगे को आधिकारिक तौर पर फहराया गया था.

पाकिस्‍तानी हिंदू महासभा ने लिया नया निर्णय
उधर, रावलपिंडी में पाकिस्‍तानी हिंदू महासभा के नेताओं की बैठक चल रही थी. बैठक में सबको पता था कि भारत और पाकिस्‍तान का विभाजन तो अब पक्‍का है. उन्‍हें यह भी पता था कि पिंडी और पंजाब के साथ-साथ पूरा सिंध प्रांत पाकिस्‍तान में जाने वाला है. वहीं, दंगे फैलने के बाद लगातार हिंदू परिवारों और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा था. ऐसी परिस्थिति में पाकिस्‍तानी हिंदू महासभा के सदस्‍यों ने मुस्लिम लीग के झंडे के नीचे आने का मन बना लिया. 7 अगस्‍त 1947 को ही महासभा ने अखबारों ने एक इश्तिहार दिया, जिसमें पाकिस्‍तान में रह रहे हिंदुओं से मुश्लिम लीग के झंडे को अपनाने की मांग की सलाह दी गई.

Tags: 15 August, Independence day



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