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Ganga Dussehra 2023- India TV Hindi

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Ganga Dussehra 2023

Ganga Dussehra 2023: आज यानी मंगलवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगा दशहरा के दिन स्नान-दान करने से व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं आज के दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। आज हम आपको मां गंगा से जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे, जिसका महाभारत काल से गहरा संबंध है। 

मां गंगा ने अपनी ही 7 संतानों को दिया था मृत्यु

प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक, हस्तिनापुर के राजा शांतनु को मां गंगा से प्रेम हो गया था और उन्होंने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। तब गंगा मैय्या ने शांतनु के सामने एक शर्त रखी और कहा कि वो उन्हें कभी भी किसी बात के नहीं रोकेंगे और अगर ऐसा हुआ तो वह हमेशा के लिए उन्हें छोड़कर चली जाएंगी। राजा शांतनु मां गंगा से असीम प्रेम करते थे और उनसे विवाह करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उनकी बात मान ली। विवाह पश्चात जब गंगा मां को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तब राजा शांतनु बेहद प्रसन्न हुए लेकिन उस बच्चे को मां गंगा ने नदी में बहा दिया। राजा शांतनु अपने अपने वचन की वजह से गंगा जी को रोक नहीं सके। इस तरह एक-एक कर के मां गंगा ने अपने 7 संतानों को नदी में बहा दिया। लेकिन जब मां गंगा को आठवीं संतान हुई और उसे नहीं में बहाने के लिए ले गई तब राजा शांतनु से रहा नहीं गया और उन्होंने मां गंगा को रोक दिया और कहा कि मुझसे अब और अपने संतानों की हत्या नहीं देखी जाती। तब मां गंगा ने राजा शांतनु को बताया कि वह अपनी इन संतानों की हत्या नहीं कर रही है बल्कि उन्हें श्राप मुक्त कर रही हूं।

मां गंगा ने राजा शांतनु को बताया कि उनके आठों पुत्र सभी वसु थे जिन्हें वशिष्ठ ऋषि ने श्राप दिया था अब मैं उन बच्‍चों को जन्‍म देने के साथ-साथ मृत्‍युलोक से मुक्ति भी दिला रही हूं। लेकिन जिस संतान को आपने बचा लिया है अब उसे धरती पर रहकर श्राप भोगना पड़ेगा। आपको बता दें कि शांतनु और मां गंगा का आठवां पुत्र जिसे बचा लिया गया था वह भीष्म पितामह थे। उन्हें जीवन भर कितना दुख, कष्ट भोगना पड़ा ये हर कोई जानता है। 

ऐसे हुआ था धरती पर मां गंगा का आगमन 

गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन गंगा मैय्या का अविर्भाव पृथ्वी पर हुआ था। राजा भागीरथ की कठिन तपस्या के कारण ही गंगा मैय्या का पृथ्वी पर आगमन संभव हो पाया था। हालांकि पृथ्वी के अंदर गंगा के वेग को सहने की शक्ति न होने के कारण भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं के बीच स्थान दिया, जिससे धारा के रूप में पृथ्वी पर गंगा का जल उपलब्ध हो सके। इसीलिए आज के दिन गंगा मैय्या के साथ-साथ भगवान शिव की उपासना का भी महत्व है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडियाटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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