प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश भर में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए देश भर में 75 वंदे भारत (Vande Bharat) ट्रेनें शुरू करने के मिशन पर काम कर रही है। लेकिन यह सपना अब पटरी से उतरता दिखाई दे रहा है। इस मामले में सबसे बड़ी खलनायक साबित हो रही है भारतीय रेलवे की प्रमुख उत्पादन इकाई कपूरथला रेल कोच फैक्टरी (RCF)। इस रेल फैक्टरी (Kapurthala RCF) के पास 2022-23 में 32 वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat High Speed Trains) की आपूर्ति का टार्गेट था। लेकिन यह फैक्टरी पूरे साल भर में एक भी ट्रेन डिलीवर नहीं कर सकी।
कलपुर्जेां की कमी पड़ी भारी
दस्तावेजों से पता चला है कि संयंत्र ने इसके लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं को ट्रेन सेट के लिए बिजली के कनपुर्जे उपलब्ध नहीं कराने का दोषी ठहराया है। सूत्रों ने संकेत दिया कि अपने लक्ष्यों को हासिल करने में कारखाने की विफलता से अगस्त, 2024 तक 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने की रेलवे की महत्वाकांक्षी योजना प्रभावित हो सकती है। कोच फैक्टरी न केवल वंदे भारत ट्रेनों के उत्पादन में लक्ष्य से पीछे रह गई, बल्कि सभी प्रकार के कोच के कुल उत्पादन में भी लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी।
सामान्य ट्रेनों का टार्गेट भी पिछड़ा
दस्तावेज के अनुसार, कारखाने ने वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक 1,885 के लक्ष्य के मुकाबले 1,478 कोच का विनिर्माण किया। फैक्टरी मार्च, 2023 तक सिर्फ 153 थ्रीएचपी मेमू ट्रेनों का विनिर्माण कर सकी, जबकि लक्ष्य 256 का था। इसी तरह वह एलएचबी कोचों के लिए अपने लक्ष्य से भी पीछे रही।
वंदे भारत के लिए सितंबर 2024 का इंतजार
अधिकारियों ने कहा कि कारखाने में वंदे भारत ट्रेन का उत्पादन सितंबर, 2024 तक शुरू होने की संभावना है। इस साल रेलवे बोर्ड ने आरसीएफ कपूरथला को 64 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन बनाने का लक्ष्य दिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आरसीएफ ने वंदे भारत ट्रेनों के लिए फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय रोलिंग स्टॉक विनिर्माता अल्सटॉम के डिजाइन को अभी तक मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है।