13/8/1947: गांधी के सामने आए.. इसलिए भारत के हाथ से निकला नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर


13 AUGUST 1947: भले ही आजादी अब महज दो दिनों की दूरी पर हो, पर 13 अगस्‍त को कहीं से भी कोई सुकून भरी खबर नहीं रही. आज आईं ज्‍यादातर खबरें मन और मस्तिस्‍क को विचलित करने वाली थी. आज एक घटना ऐसी भी थी, जिसकी कभी कोई कल्‍पना भी नहीं कर सकता है और यह घटना महात्‍मा गांधी से जुड़ी हुई है. प्रशांत पोल ने अपनी पुस्‍तक ‘वे पंद्रह दिन’ में इस घटना का उल्‍लेख करते हुए लिखा है कि दोपहर करीब तीन बजे महात्‍मा गांधी कोलकाता के बेलियाघाट स्थित हैदरी मंजिल पहुंचते हैं.

महात्‍मा गांधी के साथ महादेव भाई, मनु और कुछ कार्यकर्ता भी हैं. महात्‍मा गांधी को देखते ही नारेबाजी शुरू हो जाती है. इस नारेबाजी की शब्‍दावली कुछ ऐसी थी कि किसी के लिए भी वह सुनना सहज नहीं होगा. बावजूद इसके, महात्‍मा गांधी खुद को निर्विकार बनाने में सफल रहे. प्रशांत पोल लिखते है कुछ ही देर में नारों के साथ पत्‍थरों और बोतलों की बरसात भी शुरू हो जाती है. ऐसी स्थिति देखकर महात्‍मा गांधी वापस आते हैं, भीड़ से हाथ हिलाकर शांत होने का अनुरोध करते हैं और भीड़ शांत हो जाती है.

इसके बाद, गांधी जी बोलते हैं कि…

मैं यहां हिंदुओं और मुसलमानों की एक समान सेवा करने आया हूं. मैं यहां पर आपके संरक्षण में ही रहूंगा. यदि आपकी इच्छा हो तो आप सीधे मुझ पर हमला कर सकते हैं. आपके साथ यहीं रहते हुए, इस बेलियाघाट में रहकर, मैं नोआखाली के हिंदुओं के प्राण भी बचा रहा हूं. मुसलमान नेताओं ने मेरे सामने ऐसी शपथ ली है. अब आप सभी हिंदुओं से विनती है कि आप लोग भी कलकत्ता के मुस्लिम बंधुओं का बाल भी बांका नहीं होने दें. इतना कहकर गांधी जी शांति से हैदरी मंजिल के भीतर चले जाते हैं.

इसलिए भारत के हाथ से निकला ‘नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रॉविंस’
1945 के प्रांतीय चुनावों में मुस्लिम बहुल होने के बावजूद ‘नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रॉविंस’ की सत्‍ता कांग्रेस के हाथों में आई थी. इस चुनाव में मुस्लिम लीग को गिनी चुनी सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वहीं, जब बात भारत के विभाजन की आई तो सवाल यह खड़ा हुआ कि प्रॉविंस में रहने वाले पठान कहां जाएं. चूंकि पठानों और पाकिस्‍तानी पंजाबियों के बीच कभी नहीं बनी, लिहाजा प्रॉविंस के सभी पठानों ने भारत में विलय करने का मन बना लिया था. प्रांतीय असेंबली का बहुमत भी इसी पक्ष में था.

लेकिन, इस सबके बीच जवाहर लाल नेहरू ने रेफरेंडम से फैसला करने की बात कह बड़ा अड़ंगा लगा दिया. जब यह मसला कांग्रेस की कार्यकारिणी के सामने गया तो सरदार बल्‍लभ भाई पटेल ने नेहरू की रेफरेंडम वाली बात का जमकर विरोध भी किया. इस मसले पर सरदार पटेल का कहना था कि यह तय करना प्रांतीय विधानसभाएं का हक है कि उन्हें किस देश में शामिल होना है. देश के अन्य भागों में भी हमने यही हुआ है. इसीलिए जहां मुस्लिम लीग का बहुमत है, वे सभी प्रांत पाकिस्तान में शामिल होने जा रहे हैं.

चूंकि नॉर्थ वेस्‍ट फ्रंटियर में कांग्रेस का बहुमत है, लिहाजा न्याय संगत तो यही होगा कि नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर को भारत में शामिल होना चाहिए. लेकिन, पंडित नेहरू रेफरेंडम की बात पर लगातार अड़े रहे. इस मसले पर पंडित नेहरू ने कहा कि…

मैं लोकतंत्रवादी हूं, इसलिए वहां के निवासियों को जो लगता है, उन्हें वैसा निर्णय लेने की छूट मिलनी चाहिए.

और जब ऑल इंडिया रेडिया के बदले सुर
13 जनवरी की रात करीब 11 बजकर 50 मिनट पर ऑल इंडिया रेडियो के लाहौर केंद्र से उद्घोषणा की जाती है-यह ऑल इंडिया रेडियो का लाहौर केंद्र है. आप हमारे अगले ऐलान के लिए चंद मिनट इंतजार कीजिए. फिर अगले दस मिनट रेडियो में लगातार एक संगीत बजता रहता है. वहीं घड़ी पर जैसे ही 12 बजकर 1 मिनट का समय होता है, रेडियो से फिर उद्घोषणा होती है-

अस्सलाम आलेकुम. पाकिस्तान की ब्रॉडकास्टिंग सर्विस में आपका स्वागत है. हम लाहौर से बोल रहे हैं. कुबूल-ए-सुबह-ए-आजादी.

इस प्रकार ऑल इंडिया रेडियो के बदले हुए सुर के साथ पाकिस्‍तान के जन्‍म की अधिकृत घोषणा भी हो गई.

Tags: 15 August, Independence day



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