पाई-पाई जोड़ खरीदा घर, फिर क्‍यों 2 साल बाद हुए 'बेघर', EMI-किराया दोनों चुका रहे


हाइलाइट्स

गुरुग्राम की चिंतल हाउसिंग सोसाइटी में कुल 9 टॉवर बने हैं. इसमें से 7 टॉवर को अब तक अनसेफ घोषित किया जा चुका है. मकान खरीदार किराये पर रहने को मजबूर हो रहे हैं.

नई दिल्‍ली. जरा फर्ज कीजिए जिंदगीभर पाई-पाई जोड़कर आपने एक सपनों का आशियाना बनाया और 2 साल तक उसे सजा-संवारकर रहने लायक किया. फिर अचानक आपको पता चलता है कि इसे बनाने में घटिया सामग्री का इस्‍तेमाल हुआ है और अब यह घर रहने लायक नहीं. इसे गिराना पड़ेगा और आपको घर से बाहर निकाल दिया जाता है. आपने लोन भी ले लिया था, जिसकी ईएमआई चुका रहे और अब घर से बाहर किराये पर रहने के लिए मजबूर हैं. इतना पढ़नेभर से आपको जो महसूस हो रहा है, तो जरा सोचिए जिन हजारों लोगों के साथ यह घटना पेश आई है, उन पर क्‍या बीत रही.

दरअसल, यह पूरा मामला गुरुग्राम की चिंतल पैराडाइज हाउसिंग सोसाइ‍टी (Chintels Paradiso Housing Society) का है. इस सोसाइटी के 7 टॉवर को अब तक रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया जा चुका है. सरकारी कंपनी सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (CBRI) ने सोसाइटी के टॉवर्स की जांच के बाद इसे पूरी तरह अनसेफ बताया है. साथ ही इसमें रहने वाले सैकड़ों परिवारों से घर खाली करने को कहा गया है, जबकि कई परिवार किराये के मकान में रहने को मजबूर हो चुके हैं. उनके सामने किराया भरने के साथ घर की ईएमआई चुकाने का भी संकट आ गया है. उनका कहना है कि बिल्‍डर की मनमानी की वजह से हमें घर खरीदने की सजा मिली.

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मकान खरीदारों की आप बीती
सोसाइटी के टॉवर सी में रहने वाली अनीता कुंडु ने 2022 में अपने रिटायरमेंट के पैसों से यहां फ्लैट खरीदा था. उन्‍होंने बताया कि कुछ ही दिन बाद टॉवर डी की छत गिरने से 2 महिलाओं की मौत हो गई, जिसके बाद इसे खाली करने का आदेश दे दिया गया. अपने फ्लैट को सेफ बनाने के लिए उन्‍होंने 20 लाख रुपये लगाकर इसका रेनोवेशन भी कराया. अब CBRI ने टॉवर सी को भी अनसेफ बता दिया है. अब हमारे सामने बड़ा संकट आ गया है.

2 साल से झेल रहे खरीदार
इस सोसाइटी में घर खरीदने वाले बीते 2 साल से डर, गुस्‍से और तनाव में जिंदगी बिता रहे. सोसाइटी के 9 में से 7 टॉवर को अब तक अनसेफ घोषित किया जा चुका है. सोसाइटी के जी टॉवर में रहने वाली जैसमिन कौर का कहना है कि उनका टॉवर अनसेफ घोषित होने के बाद वे किराये पर रहने लगी हैं. अब 40 हजार रुपये हर महीने लोन की ईएमआई जा रही और 44 हजार रुपये किराया देना पड़ रहा है. ऊपर से पति का ट्रांसफर ओडिशा हो गया, जहां उन्‍हें भी किराये के घर में रहना पड़ रहा. समझ नहीं आ रहा आखिर इस समस्‍या का क्‍या हल होगा.

पीडि़तों के पास 2 ऑप्‍शन
इस सोसाइटी में मकान खरीदने वाले पीडि़तों को बिल्‍डर की ओर से दो विकल्‍प दिए गए हैं. पहला विकल्‍प ये है कि सभी फ्लैट दोबारा बनाए जाएं, जिसके लिए मकान खरीदारों को फिर से 1000 रुपये प्रति वर्गफुट के हिसाब से पैसे देने होंगे. दूसरा, विकल्‍प ये है कि बिल्‍डर सभी खरीदारों को 6,500 रुपये प्रति वर्गफुट के हिसाब से पैसे वापस कर दें. साथ ही उनकी स्‍टांप ड्यूटी और रेनोवेशन की लागत को भी वापस कर दिया जाए. हालांकि, मकान खरीदारों का कहना है कि बिल्‍डर अपनी शर्तों पर हमसे सेटलमेंट कराना चाहते हैं.

धूल फांक रहा सुप्रीम कोर्ट का आदेश
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर भी जा चुका है, जहां शीर्ष अदालत की ओर से जारी फैसले पर अभी तक अमल नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो खरीदार अपने मकान को दोबारा बनवाना चाहते हैं, उन्‍हें बिल्‍डर की ओर से तब तक के लिए किराया दिया जाना चाहिए. इस आदेश को 8 महीने हो गए और अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ. बिल्‍डर के प्रवक्‍ता का कहना है कि हम सभी विकल्‍पों की समीक्षा कर रहे हैं. दोबारा निर्माण तभी शुरू होगा, जबकि टॉवर को पहले गिराया जाए.

Tags: Business news, Buying a home, Home loan EMI



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