नई दिल्ली. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद मर्डर केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जमशेद बी. पारदीवाला के सवालों के जवाब बंगाल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ के सामने सिब्बल ने कहा कि आरजी कर की पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम 9 अगस्त को दोपहर 1 बजे से शाम 4.45 बजे के बीच हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट के सामने सिब्बल की पोस्टमार्टम की टाइमिंग को लेकर जो दलील दी गई वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मेल नहीं खाती है. सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि पोस्टमार्टम दोपहर को हुआ था जबकि रिकॉर्ड के अनुसार, पोस्टमार्टम का समय शाम 6.10 बजे से शाम 7.10 बजे बताया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट संख्या 1584 में कहा गया है कि पीड़िता के शव को शाम 6 बजे लाया गया था और पोस्टमार्टम शाम 6.10 बजे से शाम 7.10 बजे के बीच किया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर आरजी कर के फोरेंसिक विभाग के दो डॉक्टरों द्वारा मुहर के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं और एक सहायक प्रोफेसर द्वारा बिना मुहर के सह-हस्ताक्षर किए गए हैं.
आपको बता दें कि 9 अगस्त को ताला पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अप्राकृतिक मौत केस नंबर 861 और ताला पुलिस स्टेशन की जांच संख्या 1139/24 के तहत पोस्टमार्टम किया गया. यह पोस्टमार्टम पीड़िता की मां भी मौजूद में हुआ था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट में जो समय बताया गया वह कपिल सिब्बल की सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलीलों से बिलकुल अलग है.
पीड़िता के मां-बाप के आरोप पर क्या बोले सिब्बल?
पीड़िता के माता-पिता कह चुके है कि उन्हें घंटों तक अपनी बेटी के शव को देखने की अनुमति नहीं दी गई. सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो बंगाल सरकार के वकील और अधिकारियों ने पीड़िता के मां-बाप के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. मंगलवार की सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने सवाल उठाया था कि एफआईआर कब दर्ज की गई. जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि पहली बार सूचना किसने दी थी. हम प्रथम सूचना रिपोर्ट के बारे में बात कर रहे थे. वह पहली सूचना देने वाला कौन है? कोर्ट ने कहा कि कृपया हमें नाम बताएं? सिब्बल से जस्टिस ने पूछा?
कोर्टरूम में क्या हुआ?
जस्टिस पारदीवाला ने स्पष्ट किया, एफआईआर दर्ज करने वाला पहला व्याक्ति कौन है.
सिब्बल ने कहा, मैं पता लगाऊंगा.
जस्टिस पारदीवाला ने आगे कहा, और हम एफआईआर दर्ज होने का समय भी जानना चाहेंगे.
सिब्बल ने बताया कि पीड़िता के पिता, महामहिम. फिर सिब्बल ने अपने जूनियर की तरफ देखा और कहा कि पहला यूडी केस पुलिस ने खुद ही दर्ज किया था.
जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि वह एफआईआर नहीं है.
जस्टिस ने कहा, पुराने सीआरपीसी की धारा 174 आज क्या है? क्या कोई हमारी मदद कर सकता है? यह सिर्फ रिपोर्ट है.
सिब्बल ने बीच में टोका, कहा- जांच शुरू करने के लिए…
जस्टिस पारदीवाला ने फिर पूछा, तो फिर एफआईआर किसने दर्ज कराई?
सिब्बल ने बताया, पहले मृतक के पिता ने, फिर कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल ने
यह देखते हुए कि दो एफआईआर नहीं हो सकतीं, जस्टिस पारदीवाला ने एफआईआर दर्ज करने के समय के बारे में पूछा?
तो कपिल सिब्बल ने जवाब दिया, दोपहर 11.45 बजे
आपस में कुछ चर्चा के बाद, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि शव किस समय परिवार को सौंपा गया.
पहले कोर्ट को तीन अलग-अलग समय दिए गए, दोपहर 3.30 बजे, दोपहर 3.10 बजे और रात 8.30 बजे.
सीजेआई ने कहा, एक बात साफ है शव को अंतिम संस्कार के लिए परिवार को रात 8.30 बजे सौंपा गया और एफआईआर शव को अंतिम संस्कार के लिए सौंपे जाने के तीन घंटे 15 मिनट बाद रात 11.45 बजे दर्ज की गई.
सिब्बल ने कहा, उन्होंने मना कर दिया…माइलॉर्ड, यही समस्या है. हमने शव सौंप दिया, उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई. उन्होंने 11.45 पर शिकायत दर्ज कराई. फिर उन्होंने कहा कि हम सदमे में हैं, कृपया जो करना है करें. वे पोस्टमार्टम चाहते थे, हमने पोस्टमार्टम करवाया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट की वीडियोग्राफी हुई है. फिर सीजेआई ने पूछा कि शव का परीक्षण और पोस्टमार्टम कब हुआ? कोर्ट ने पोस्टमार्टम के समय पर सिब्बल की “परिकल्पना” का संज्ञान लिया.
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FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 19:55 IST