नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व कम्युनिकेशन इंचार्ज विजय नायर की जमानत याचिका पर जवाब मांगा है. जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्रीय एजेंसी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
विजय नायर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से लगभग 2 साल से हिरासत में है और लगातार ईडी की हिरासत में है. कोर्ट ने इस मामले में ईडी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और विक्रम चौधरी ने दलील दी कि नायर लगभग दो साल से जेल में है. मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 353 गवाह थे और आज तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है.
क्या है मामला?
आपको बता दें कि 13 नवंबर 2022 को गिरफ्तार किए गए नायर ने अपनी डिफॉल्ट जमानत याचिका को खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है. इससे पहले, हाईकोर्ट ने पिछले साल 3 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नायर और अन्य सह-आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एफआईआर से उपजा है, जो दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा 2021 में नई आबकारी नीति की जांच की सिफारिश करने के बाद दर्ज की गई थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नायर ने हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के विभिन्न होटलों में कुछ अन्य सह-आरोपियों, शराब निर्माताओं और वितरकों से मुलाकात की, ताकि ‘हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से अवैध रूप से अर्जित धन’ की व्यवस्था की जा सके, जिसे दिल्ली में पार्टी सरकार द्वारा एहसान के बदले में आप को दिया गया था. इसने यह भी दावा किया है कि व्यवसायी और सह-आरोपी अभिषेक बोइनपल्ली बैठकों का हिस्सा थे और एक अन्य आरोपी शराब व्यवसायी समीर महेंद्रू के साथ धन शोधन की साजिश में शामिल थे.
कौन-कौन है आरोपी?
दिल्ली के जोर बाग स्थित शराब वितरक इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक महेंद्रू की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने दिल्ली और पंजाब में लगभग तीन दर्जन स्थानों पर छापेमारी की थी. मामले में अन्य आरोपी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण, आबकारी विभाग के पूर्व उप आयुक्त आनंद तिवारी और पूर्व सहायक आयुक्त पंकज भटनागर हैं.
सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया.
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FIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 19:59 IST