मुंबई। ‘आपको समझना चाहिए कि भारत में महिलाओं का सदियों से अपना एक सफर रहा है। 16वीं से 21वीं सदी तक उन्होंने प्रगति की, लेकिन उन्हें दबाया भी गया। महिलाएं भारत में प्रगति और दमन का विरोधाभास रही हैं, ठीक उसी तरह जैसे भारत खुद रहा है।’ ये बातें बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस शबाना आजमी ने अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार (आईफा) में मीडिया से बातचीत के दौरान कही हैं। मलयालम सिनेमा में महिला कलाकारों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न को सामने लाने वाली जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए शबाना ने समाज में महिलाओं की स्थिति पर खुलकर बात की। जस्टिस हेमा समिति का गठन केरल सरकार द्वारा किया गया था, जब 2017 में एक अभिनेत्री पर हमले के जवाब में वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव ने याचिका दायर की थी। समिति ने मलयालम सिनेमा में काम करने वाली महिलाओं द्वारा सामना किए गए चुनौतियों का दस्तावेज बनाया था। समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त केरल हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति के हेमा ने की। इसमें अनुभवी अभिनेत्री शारदा और सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी केबी वलसाला कुमारी भी सदस्य के रूप में शामिल थीं।
जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में तूफान लाने के साथ-साथ भारत के विभिन्न फिल्म उद्योगों में भी हलचल मचा दी है, जिससे महिला कलाकारों के साथ हुए उत्पीड़न और शोषण की जांच के लिए कार्रवाई की मांग उठने लगी है। हेमा समिति की रिपोर्ट के बाद कई महिलाएं आगे आईं और उन्होंने मलयालम सिनेमा की जानी-मानी हस्तियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। बॉलीवुड में अनन्या पांडे, स्वरा भास्कर, गुनीत मोंगा, एकता कपूर, तनुश्री दत्ता, लक्ष्मी मांचू, पृथ्वीराज सुकुमारन, टोविनो थॉमस और पार्वती थिरुवोथु सहित कई हस्तियों ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दे चुके हैं। अब शबाना भी इस लिस्ट में शामिल हो चुकी हैं।
मी-2 के बाद दिखा दूसरा ऐसा विरोध
बता दें कि इससे पहले ‘मी-2’ मूवमेंट के बाद भी बॉलीवुड एक्ट्रेसेस ने महिलाओं के समर्थन में अपनी बात रखी थी। इस कैंपेन के दौरान कई एक्ट्रेस ने आगे बढ़कर अपने साथ हुए अनाचार को भी खुलकर बताया था। अब जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने भी इसी तरह की बहस छेड़ दी है। इस मामले को लेकर फिल्मी दुनिया की महिलाएं भी खुलकर समर्थन कर रही हैं।