नई दिल्ली. बीजेपी सूत्रों की मानें तो केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के हालिया दिए दो सार्वजनिक बयानों से बीजेपी असहज महसूस करने लगी है. चिराग का पहला बयान सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कोटे के अंदर कोटा पर दिए फैसले पर आया. चिराग पासवान ने अपने इस बयान में सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को बड़ी बेंच में चैलेंज करने की बात की. विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस पहले से ही इस फैसले पर केंद्र सरकार को घेर रही थी. चिराग के समर्थन में आने से विपक्षी पार्टियों को भी बल मिला. नतीजा यह हुआ कि संसद सत्र खत्म होते ही केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को कहना पड़ा कि आरक्षण के प्रावधान पूर्व की तरह ही देश में मिलते रहेंगे.
चिराग पासवान का दूसरा बयान हाल ही में आया है. चिराग के इस बयान से भी बीजेपी असहज महसूस करने लगी. केंद्र सरकार के मंत्रालयों में लेटरल एंट्री के द्वारा की जा रही नियुक्तियों के विरोध में चिराग पासवान ने बयान दे दिया. पासवान ने कहा कि इस फैसले से एससी-एसटी और ओबीसी समाज को आरक्षण से वंचित किया गया है. चिराग का यह बयान भी एनडीए के किसी भी घटक दल के नेता के बयान से पहले आया. कांग्रेस, एसपी और बीएसपी जैसी पार्टियां पहले से ही इस फैसले का विरोध कर रही थी. चिराग के समर्थन से सरकार एक बार फिर से असहज महसूस करने लगी. आखिरकार नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को केंद्र सरकार ने इस फैसले को भी वापस ले लिया.
बीजेपी को है बिहार में एक दलित चेहरे की तलाश
चिराग पासवान के लगातार सार्वजनिक बयानों से एनडीए खासकर सरकार में बैठे बड़े मंत्री असहज महसूस कर रहे हैं. जहां, जेडीयू जैसी पार्टियां पार्टी लाइन से हटकर गठबंधन धर्म का पालन कर रही है. वहां चिराग पासवान के एक के बाद एक बयान सरकार के लिए मुश्किल खड़ी करने लगी है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान की लागातार बयानबाजी से बीजेपी आलाकमान खुश नजर नहीं आ रही है. इसी का नतीजा है कि अब बिहार की दो राज्यसभा सीटों में एक पर किसी बड़े दलित चेहरे की तलाश शुरू कर दी है, जो चिराग पासवान के समकक्ष न सही धरती पर जनाधार वाला नेता हो.
इन नामों की हो रही है चर्चा
सूत्रों की मानें तो बीजेपी के अंदर आरके सिंह, शहनवाज हुसैन, आरके सिन्हा, रामकृपाल यादव के साथ-साथ एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित नेता संजय पासवान या उनके पुत्र गुरुप्रकाश को भी राज्यसभा भेजने की बात होने लगी है. कहा जा रहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे संजय पासवान को राज्यसभा भेजा जा सकता है. बीजेपी को एक ऐसे दलित चेहरे की तलाश है जो बिहार विधानसभा चुनाव में पासवान वोटबैंक में सेंध लगा सके. बिहार में पासवान जाति की आबादी 6,943,000 है, जो कुल आबादी का 5.311% है. दलित जाति के लिए यह काफी बड़ी संख्या है. इस पर सालों से रामविलास पासवान या उनके परिवार का आधिपत्य रहा है. अब उनके बेटे चिराग पासवान इस वोटवैंक पर अपना दावा ठोक रहे हैं.
बिहार बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘राज्यसभा प्रत्याशी का चयन केंद्रीय नेतृत्व करती है. हमारे दोनों डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली में हैं. आज-कल में राज्यसभा के उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए जाएगा. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है. जहां तक संजय पासवान की बात है. वह भी राज्यसभा जाने की काबिलियत रखते हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. अभी विधान परिषद में पार्टी का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं.’
Tags: Bihar BJP, Bihar News, Chirag Paswan, Rajya Sabha Elections
FIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 17:56 IST