कुंवर सचदेव ने 1998 में पहली स्वदेशी इनवर्टर कंपनी बनाई. सू-कैम नाम से बनी इस कंपनी का बिजनेस कई देशों में फैला. लोन चुकाने में डिफॉल्ट होने के बाद कंपनी दिवालिया हो गई.
नई दिल्ली. सू-कैम (Su-Kam) कंपनी का नाम तो याद ही होगा. भारत में पहली बार इनवर्टर बनाने वाली इस कंपनी के फाउंडर कुंवर सचदेव को ‘इनवर्टर मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है. उन्होंने करीब 26 साल पहले इस कंपनी की शुरुआत की थी. उनका बिजनेस भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में फैला और घर-घर की जरूरत बनता गया. लेकिन, फिर एक गलती हुई और उसके बाद कंपनी का पतन शुरू हो गया. एक समय ऐसा आया जब यह दिवालिया घोषित हो गई और आखिरकार बिकने के कगार पर पहुंच गई. आखिर एक सफल बिजनेस कैसे धराशायी हो गया, इसकी कहानी खुद फाउंडर सचदेव ने बताई तो डराने वाली हकीकत सामने आई.
यह बात है 1998 की, जब देश में बिजली संकट चरम पर था. गांव तो छोड़ो शहरों में बिजली जाने की समस्या बढ़ती ही जा रही थी. ऐसे में जरूरत थी एक ऐसे प्रोडक्ट की जो लोगों के लिए इस समस्या का समाधान पेश कर सके. दिल्ली में रहने वाले कुंवर सचदेव उस समय केबल टीवी का बिजनेस करते थे, लेकिन बिना पॉवर बैकअप के यह बिजनेस किसी काम नहीं. लिहाजा उन्होंने केबल टीवी का बिजनेस छोड़कर पहली बार पॉवर बैकअप इनवर्टर बनाने वाली सू-कैम को स्थापित किया.
राह के पत्थरों से बनाई सफलता की सड़क
हर बिजनेस की तरह यहां भी चुनौतियां कम नहीं थी. सचदेव का प्रोडक्ट मार्केट में आया तो 100 से अधिक लोगों ने इसमें खामियां बताकर वापस कर दिया. इन खामियों को दूरकर जब उन्होंने दोबारा अपना प्रोडक्ट मार्केट में उतारा तो उसने धूम मचा दी. इनवर्टर और कंप्यूअर यूबीएस जैसे उत्पादों ने उन्हें लोकप्रिय बना दिया और कारोबार भारत से निकलकर मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, नेपाल, बांग्लादेश सहित कई देशों में फैल गया. इस प्रोडक्ट की खासियत यह थी कि इसे शून्य से लेकर 55 डिग्री के तापमान तक काम करने लायक बनाया गया था.
फिर आए मुश्किलों वाले दिन
सू-कैम का बिजनेस लगातार ग्रोथ कर रहा था, तभी सचदेव के व्यक्तिगत कारणों की वजह से कंपनी पर चढ़ा करीब 240 करोड़ रुपये का कर्ज डिफॉल्ट हो गया. कंपनी के पास इस लोन को आसानी से चुकाने का मौका था और उतनी संपत्ति भी थी, लेकिन बैंकों ने दिवालिया घोषित करने के लिए केस डाल दिया. इसके बाद जो हुआ वह काफी डराने वाला था.
डराती है सचदेव की हकीकत
कुंवर सचदेव ने बताया कि कंपनी के दिवालिया घोषित किए जाते ही इसकी कमान इनसॉल्वेंसी रेज्योलुशन प्रोफेशनल्स (आईआरपी) के हाथ सौंप दी गई. रातोंरात कंपनी के सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स और कस्टमर्स को संदेश भेज दिया गया कि अब सर्विस नहीं मिलेगी और मेरी आंखों के सामने ही 3 दशक की मेहनत से बनाई कंपनी बंद कर दी गई. एक ऐसी कंपनी जिसने अमेरिका और चीन की दिग्गज कंपनियों से मुकाबला कर अपना बाजार बनाया और भारतीय प्रोडक्ट को ग्लोबल पहचान दिलाई.
फिर शुरू हुआ मुकदमों का खेल
सचदेव बताते हैं कि सिर्फ कंपनी को बंद करने भर से मेरा पीछा नहीं छूटा. इसके बाद तो मेरे खिलाफ एक के बाद एक मुकदमे दाखिल होते चले गए. हाईकोर्ट, सीबीआई की अदालतों में केस चलने लगे. बिना मेरी किसी गलती के ही सालों से बनाई मेरी इज्जत खत्म कर दी गई. मेरे डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर्स और कस्टमर्स सर्विस के बिना धीरे-धीरे कंपनी से हटने लगे. मैं चाहकर भी उनकी मदद नहीं कर पा रहा था, क्योंकि कंपनी के सभी एसेट तो बैंकों के कब्जे में थे.
पत्नी ने दिखाया नया रास्ता
सबकुछ बर्बाद होने और छिन जाने के बाद सचदेव सदमे में चले गए, लेकिन जब ‘इनवर्टर मैन ऑफ इंडिया’ की जिंदगी में अंधेरा आया तो उनकी पत्नी खुशबू सचदेव ने नया रास्ता दिखाया. उन्होंने नया वेंचर सू-वास्तिका बनाकर कस्टमर्स को सर्विस देनी शुरू की. कुंवर सचदेव ने इस कंपनी के लिए मेंटोर का काम किया. एक बार फिर गाड़ी पटरी पर आती दिखी और आज यह कंपनी अपने डीलर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स और कस्टमर्स को तमाम तरह की सेवाएं दे रही है. कंपनी अब तक 60 प्रोडक्ट के पेटेंट के लिए आवेदन दे चुकी है, जिसमें से 6 उसके नाम से हो भी गए हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 11:33 IST