मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी यानी MNP कराने को लेकर दूरसंचार नियामक TRAI ने हाल ही में नई गाइडलाइंस जारी की है। देश के करोड़ों टेलीकॉम यूजर्स को जागरूक बनाने के लिए ट्राई ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी को लेकर अपने आधिकारिक X हैंडल से पोस्ट किया है। ट्राई ने ग्राहकों को ऑपरेटर बदलने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में बताया है। हाल के दिनों में निजी टेलीकॉम कंपनियों के प्लान महंगे होने के बाद लाखों की संख्यां में यूजर्स ने BSNL में अपना नंबर पोर्ट कराया है। अगर, आप भी अपना ऑपरेटर बदलना चाहते हैं तो ट्राई की नई गाइडलाइंस को फॉलो करें।
TRAI ने अपने X पोस्ट में कहा है कि MNP यानी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें ग्राहक बिना अपना मोबाइल नंबर बदले अपने सर्विस प्रोवाइडर बदल सकते हैं। MNP प्रक्रिया में टेलीकॉम यूजर के साथ मौजूदा सर्विस प्रोवाइडर और नए सर्विस प्रोवाइडर के अलावा मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सर्विस प्रोवाइडर (MNPSP) शामिल होते हैं। मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सर्विस प्रोवाइडर दोनों सर्विस प्रोवाइडर के बीच बैकएंड पोर्टिंग प्रक्रिया पूरी कराता है।
इन 5 वजहों से नहीं बदल सकेंगे ऑपरेटर
- अगर, कोई यूजर मौजूदा टेलीकॉम ऑपरेटर की सर्विस 90 दिनों से कम इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वो मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी के लिए एलिजिबल नहीं हैं।
- अगर यूजर के नंबर की ओनरशिप ट्रांसफर का रिक्वेस्ट प्रोसेस में है, तो भी MNP नहीं हो सकता है।
- पोस्टपेड यूजर्स ने अगर मौजूदा ऑपरेटर का बिल नहीं चुकाया है, तो भी उनका नंबर पोर्टेबिलिटी के लिए एलिजिबल नहीं होगा।
- यूजर का नंबर पोर्ट कराना अगर किसी अदालत द्वारा प्रतिबंधित किया गया है, तो भी नंबर पोर्ट नहीं किया जा सकता है।
- इसके अलावा जिस नंबर के लिए पोर्टिंग रिक्वेस्ट की मांग की गई है, वह किसी न्यायालय में विचाराधीन है, तो भी नंबर पोर्ट नहीं हो सकता है।
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